Friday, 15 November 2019

Mujhe pasand hai

तारीफ  नहीं  करती   मै उसकी ,पर
उसकी  कुछ  बाते   मुझे  पसंद  है
उससे  बात  नहीं  करनी  मुझे  पर ,
उसकी  बातें  करना  मुझे  पसंद  है 



अकड़  है  अदा  है  गुरूर  है ,पर
उसकी  ये  मगरूरी  मुझे  पसंद  है
बादशाह  है  वो  अपने  मन  का ,
 उसकी  करना  न  जी  हुज़ूरी  मुझे  पसंद  है



नहीं  है  हक़ीक़त  वो  मेरी  ,
फिर  भी  उसे  सोचना  मुझे  पसंद  है
मालूम  है  चाँद  जैसा  है  वो ,अरे  नहीं  चाहिए  ,
उसे  दूर  से  देखना  मुझे  पसंद  है


बिखर  जाते  मेरे  सपने  उसकी  बेफिक्री  के  आगे
फिर  से  उन्हें हर बार  पिरोना  मुझे  पसंद  है
गलत  नहीं  है  वो   थोड़ा  जुदा  है  सबसे
उसका  यूँ  अलग सा  होना  मुझे  पसंद  है



मालूम  है  नहीं  है  वक़्त  उसके  पास  मेरे  लिए
फिर  भी  उसकी  राह  देखना  मुझे  पसंद  है
मत  देख  मुड़  कर  मुझे  कोई  गम  नहीं
तुझे  यूँ  छुप  छूप   कर  देखना  मुझे  पसंद  है


तेरा  ऑनलाइन आना स्टेटस ढालना और  फिर  चले  जाना  आम  है
फिर   भी तेरी    प्रोफाइल  पर  बार  बार  विजिट  करना  मुझे  पसंद  है
अरे  करले  जी  भर  के  इगनोर  न  कर  रिप्लाई  परवाह  किसे  है
हर  रोज  तुझे  एक  मैसेज  छोड़ना  मुझे  पसंद  है ..


जो  भी  करते  हो  न  तुम ,तुमसे  तुम्हारी  शिकायत  करना  मुझे  पसंद  है
नहीं  चाहिए  कुछ  भी  अब  बस  यूही  इबादत  करना  मुझे  पसंद  है
अनजान  रहो  ,बेफिक्र  रहो ,बेअसर  रहो  क्या  फर्क  पड़ता  है  इससे
तुमसे  तो  यूँ  खामोश  मोहबत  करना  मुझे  पसंद  है ......

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