चल मान लिया हम एक दूजे से जुदा है
अपनी ही राहे अपनी ही अदा है
लिखनी है दोनों को ही अपनी दास्ताँ पर उसके लिए
एक उम्र की जरूरत तुझे भी मुझे भी
माना तू वो सूरज है जो रोशन जहाँ को करता है
और में वो चाँद जो ठंडक रात में बरसाती हूँ
पर बात तो ये है न की
आस्मां की जरुरत तुझे भी और मुझे भी
माना की तू उस पेड़ सा है जो छाया दे लाखों को
और में उस तुलसी सी जो आंगन महकाती हूँ
पर जुड़े है दोनों ज़मीन से
मिटटी की जरूरत तुझे भी मुझे भी
माना की तू बारिश की पहली राहत है
और में बर्फ की सफ़ेद चादर सी
बरसते तो दोनों ही है पर
मौसम की जरुरत तुझे भी मुझे भी
माना तू एक आग है जलने जलने को
में पानी की तेज़ धरा सी
हम जिंदगी भी मौत भी
सम्भलने की जरूरत तुझे भी मुझे भी
माना तू वो गीत है जो गुनगुना कर मन खुश होता है
और में उस ग़ज़ल सी जो दिल के जज़्बात बयान कर जाती है
पर ये न भूलो जनाब
लब्ज़ो की जरुरत तुझे मुझे भी
दिमाक है तू तो दिल हु में
साज़ है तू तो आवाज़ हु में
खिलना बिखरना दोनों को है
फूल है तू तो खुसबू हु में
एक दूजे से अलग है पर बिना एक दूजे के एक आधुरात तुझे भी मुझे भी
मान भी ले अब तेरी जरुरत मुझे भी और मेरी जरूरत तुझे भी ........
अपनी ही राहे अपनी ही अदा है
लिखनी है दोनों को ही अपनी दास्ताँ पर उसके लिए
एक उम्र की जरूरत तुझे भी मुझे भी
माना तू वो सूरज है जो रोशन जहाँ को करता है
और में वो चाँद जो ठंडक रात में बरसाती हूँ
पर बात तो ये है न की
आस्मां की जरुरत तुझे भी और मुझे भी
माना की तू उस पेड़ सा है जो छाया दे लाखों को
और में उस तुलसी सी जो आंगन महकाती हूँ
पर जुड़े है दोनों ज़मीन से
मिटटी की जरूरत तुझे भी मुझे भी
माना की तू बारिश की पहली राहत है
और में बर्फ की सफ़ेद चादर सी
बरसते तो दोनों ही है पर
मौसम की जरुरत तुझे भी मुझे भी
माना तू एक आग है जलने जलने को
में पानी की तेज़ धरा सी
हम जिंदगी भी मौत भी
सम्भलने की जरूरत तुझे भी मुझे भी
माना तू वो गीत है जो गुनगुना कर मन खुश होता है
और में उस ग़ज़ल सी जो दिल के जज़्बात बयान कर जाती है
पर ये न भूलो जनाब
लब्ज़ो की जरुरत तुझे मुझे भी
दिमाक है तू तो दिल हु में
साज़ है तू तो आवाज़ हु में
खिलना बिखरना दोनों को है
फूल है तू तो खुसबू हु में
एक दूजे से अलग है पर बिना एक दूजे के एक आधुरात तुझे भी मुझे भी
मान भी ले अब तेरी जरुरत मुझे भी और मेरी जरूरत तुझे भी ........
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