Wednesday, 1 January 2020

kyuuu

जब पता है जवाब तो  फिर  सवाल क्यों ,
जब आखिर में उसके लिए ही रोना है तो ये मलाल  क्यों
मेरा ही इश्क़ मेरी ही ज़िद मेरा जूनून, जब सब मेरा है तो ये हाल क्यों
जब मालूम था इश्क़ की गेहराईयूँ  का फिर भी किया तो फेर डूब जाने का बवाल क्यों,,,,

ये नहीं है की फ़क़त मैने  ही उसे चाहा है फिर ये फ़िज़ूल का शक क्यों
तू वो चाँद है जिसकी पनाहो में हज़ारो  तारे है फिर मेरे दिल पे  तेरा ही हक़ क्यों
जब कुछ है नहीं मुझसे तो कर लेता  है मुझे याद बेवक़्त  क्यों
और अगर दिल में है कुछ तो करदे बयां बनाया है खुद को इतना सक्त क्यों

जब रखना ही नहीं तुजसे कोई ताल्लुक़ तो रहती तेरी हर खबर क्यों
नज़र अंदाज़ करता है तू हर दफा मुझे फिर तुझ पर ही मेरी नज़र क्यों
नादान तो नहीं है समझता  सब है तू ,फिर रहता है मुझसे ही बेखबर क्यों
और जब  है ही नहीं अपने दरमियान कुछ भी फिर मुझ पर तेरा इतना असर क्यों

जुदा  है मंजिले अपनी और रहे भी फिर ये एतबार  क्यों
न ही तूने आना है और नहीं मैने बुलाना है फिर ये इंतज़ार क्यों
रुस्वाइयो को सिवा नहीं है कुछ फिर भी तुजसे ही प्यार क्यों
नहीं चाहेगा  तुजे भी इतना कोई और  जनता है फिर ये इंकार क्यों
लाखों है तुजे पर फ़िदा यहाँ फिर में ही तेरी नज़रों  में गुनहगार क्यों ........


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