Wednesday, 11 March 2020

chahat

मैने  तुझे चाहा और  तू  मेरा  अरमान  बन  कर  रह  गया
कितनी  मोहबत  है   तुझसे  इस  राज  से  अनजान  बन  कर  रह  गया
समझा  लिया  है अब  तो  मैने  भी  खुद  को
जो  कभी  पूरा  होगा  ही  नहीं  तू  वो  ख्वाब  बन  कर  रह  गया



जब  मिलना  ही  नहीं  था  हमे  फिर  हम  मिले  ही  क्यों  ये  एक  सवाल  बन  कर  रह  गया
तू  जब  है  ही  नहीं  मेरा  तो  क्यों  मेरी  पहचान  बन  कर  रह   गया
कहना  तो  बहुत  कुछ  था  तुझसे  पर  दिल  का  सब  दिल  में  ही  रह  गया
इंतज़ार  था  की  कभी  तो  वक़्त  निकाल  कर  बात  करेगा  मुझसे  तू
पर  तेरा   यु  खामोश  रहना  ही  बहुत  कुछ  कह  गया


मान लिया  मैने  भी  नहीं  है  तू   मेरा  और  न  कभी  हो  पायेगा
और  तुझे अपना  बनाने  की  चाहा  में  मेरा  दिल यूही  टूटता  जायेगा
हर  एक  चोट  वक़्त  के  साथ  भर  जाएगी  मालूम  है
पर  तेरे  न  होने  का  अफ़सोस  जो  है  ये  तो  कभी   न  भर  पायेगा


कबूल  कर  इस  हक़ीक़त  को  ज़िन्दगी  भी  बहती  जाती  है
जब  सब  ठीक  सा  लगने  लगता  है  फिर  तेरी  कशिश  जाने  को  उभर  आती  है
तुझे  भुलाने की  कोशिश   पूरी  होने  को  होती  ही  है
 की  न  जाने  फिर  कहा   से  और  क्यों  तेरी  याद  चली  आती  है



फिर   अब  नहीं  सोचना   तुझे  ये  सोच  कर  दिन  गुजरने  लगता  है
इधर  उधर    की  बातो  में  मनो  मन  भी  बहलने  लगता  है
अब  न  करू  कोई  फरियाद  तेरे  लिए  ये  फैसला  भी  दिल  करने  लगता  है
पर  देख़ते  ही  कोई  मज़ार  ये  सिर  खुद  बा  खुद  झुकने  लगता  है
तेरा  नाम  लेकर  एक  दुआ  खुद  लब  पर  आ जाती   है  फिर  से
और  देख  मेरा  ये  हाल  खुदा  भी  हसने  लगता  है  .....































































































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