Wednesday, 26 February 2020

kamosh

तेरा  खामोश  रहना  अब  मुझे  खलने  लगा  था
करना  यूँ  नज़र  अंदाज़  मुझे  चुबने  लगा  था


यही  नहीं  फ़क़त  मैने  ही  तुझे  चाहा
जिसने  भी  जाना   तुझे   बस  चाहने  लगा  था


इतना  मीठा  था  तेरा  वो  एक  झलक  देखना
जिसको  भी  देखा  कातिल  नज़रों  से  तूने   वो  तुझ पर ही  मरने  लगा  था


तेरी  मर्ज़ी  तू  जिसको  चाहे  अपना  बना  ले  क्या  सोचना
क्युकी  जो  भी  तुझसे   मिलता  वो  तेरा  होने  लगा  था


ये  कैसी अजब  सी  मोहबत  थी  तुझसे   और  तुझे  इल्म   ही  नहीं
तू  मेरा  था  ही  नहीं  कभी  पर  जो  भी  मेरा  था  सब  तेरा  होने   लगा  था


बात  तुझे  खोने  पाने  की  तो  थी  ही  नहीं  कभी
खुदा   माना था  तुझे  मोहबत  में  और  भला  खुदा  कब  किसी  एक  का  होने  लगा  था


तूने  कहा  भूल  जाओ  तुझे  में  ज़माने  के  लिए
चल  मैने  मान ली  तेरी  बात  ,पर  चाहत  में  हु  में  तेरी  पागल  ये  तो  ज़माना  कहने   लगा  था  ....

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