दुनिया की भीड़ में है कोई जो थोड़ा अलग सा था
रहता तो सबमे है पर फिर भी कुछ जुदा सा था
अदा पहचान वजूद उसका नूर ऐसा जैसा खुदा सा था
जब देखा उसे तो सोचा फिर ना डालू नज़र उस पर
पर जो पहली नज़र में दिल जीत जय उस अदा सा था
आंखों में सुरूर बातो में गुरूर सा था
है बड़ा तंगदिल ,पत्थर दिल ये चर्चा उसका मशहूर सा था
हम भी तो त्यार बैठे थे होने को उसके हाथो बर्बाद
जैसे मनो उस तंग दिल से दिल लगाना एक फितूर सा था
उन नज़रों में जैसे मोहब्बत एक तौहीन सी थी
उसकी अदा ए सितम हमे पसंद बहुत थी
हमने तो कर लिया फ़ना खुदको उसकी मोहबत्त में
क्या है ना उन नज़रों में खुदको देखने की में शौक़ीन बहुत थी ..
रंजिशे थी ,शिकवे थे ,अधूरत थी फिर भी वो मुझसे जुदा ना था
देख कर हर दफा कर देता था अनदेखा मुझे पर फिर भी मुझसे काफा ना था
अकड़ थी ,गुरूर था बड़ा मगरूर था ,मुझसे दूर भी था
था सब कुछ पर इतना यकीन है वो बेवफा ना था . ...
Awesome
ReplyDeleteHizre ala na sata bewajah .. dhundta tu ku wajah bewajah..
ReplyDeleteWah wah
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