Monday, 21 October 2019

ADAA

दुनिया  की  भीड़  में  है  कोई  जो  थोड़ा  अलग  सा  था 
रहता  तो  सबमे  है  पर  फिर  भी कुछ  जुदा सा  था 
अदा  पहचान  वजूद उसका  नूर  ऐसा  जैसा  खुदा  सा  था 
जब  देखा  उसे  तो  सोचा  फिर  ना  डालू  नज़र  उस पर  
पर  जो  पहली  नज़र  में  दिल  जीत  जय  उस  अदा  सा  था 

आंखों  में  सुरूर  बातो में  गुरूर  सा  था 
है  बड़ा  तंगदिल  ,पत्थर  दिल  ये  चर्चा  उसका  मशहूर  सा   था 
हम  भी  तो  त्यार  बैठे  थे  होने  को  उसके  हाथो  बर्बाद  
जैसे  मनो  उस  तंग  दिल  से  दिल  लगाना  एक  फितूर  सा  था 

उन  नज़रों  में  जैसे   मोहब्बत  एक  तौहीन  सी  थी  
उसकी  अदा  ए सितम  हमे  पसंद  बहुत  थी   
हमने  तो  कर  लिया  फ़ना  खुदको  उसकी  मोहबत्त  में  
क्या  है  ना   उन  नज़रों  में  खुदको   देखने  की  में  शौक़ीन  बहुत  थी ..

रंजिशे  थी  ,शिकवे  थे ,अधूरत  थी  फिर  भी   वो  मुझसे  जुदा  ना  था 
देख  कर  हर  दफा  कर  देता  था  अनदेखा  मुझे  पर  फिर  भी  मुझसे  काफा  ना  था 
 अकड़  थी  ,गुरूर  था  बड़ा  मगरूर  था  ,मुझसे  दूर  भी  था   
था  सब   कुछ  पर  इतना  यकीन  है  वो  बेवफा  ना  था . ...

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