कई रंग होते है कई अदा होती है
किसी में वफ़ा तो कभी दगा होती
है
कोई दिल लगा लेता है कोई दिल दुखा
देता है
छोड़ो ना
क्या सोचना सबकी फितरत जुदा
होती है
कोई सब कुछ हस
कर कह जाता है
कोई सब कुछ चुप रह कर सह जाता है
कोई मुस्काकर गम छुपा जाता है
कोई अपनी अदा
से सब जता जाता है अरे
आलम ना पूछो इंसानो का कोई जाने कब कैसे दिल बेहला जाता
किसी को दुनिया का साथ रास आता
है किसी को
अपनी तन्हाई भा
जाती है
अरे क्या कहना
सबकी अपनी अपनी रज़ा
होती है
छोड़ो ना क्या सोचना सबकी फितरत जुदा होती
है.........
Sahi bat hai ..
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