Tuesday, 22 October 2019

Fitrat


कई  रंग  होते  है  कई   अदा  होती  है 
किसी  में  वफ़ा  तो  कभी  दगा  होती है  
कोई  दिल  लगा  लेता  है  कोई  दिल  दुखा देता है 
छोड़ो  ना क्या  सोचना  सबकी  फितरत  जुदा होती है 

कोई  सब  कुछ  हस कर  कह  जाता   है
कोई  सब  कुछ   चुप  रह  कर  सह  जाता  है 
कोई  मुस्काकर  गम  छुपा  जाता  है 
कोई  अपनी  अदा से  सब  जता  जाता  है  अरे 
आलम  ना  पूछो  इंसानो  का  कोई   जाने  कब  कैसे  दिल  बेहला  जाता 
किसी  को  दुनिया  का  साथ  रास  आता है किसी  को  अपनी  तन्हाई  भा जाती  है
अरे  क्या  कहना  सबकी  अपनी  अपनी  रज़ा होती  है
छोड़ो  ना  क्या  सोचना  सबकी  फितरत  जुदा  होती है.........

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