एक कशिश एक चाहा एक एहसास है तू
ज़िन्दगी नहीं है तू मेरी बस मेरा एक ख्वाब है तू
बेपनाह कदर है तेरी मेरी दिल में पर गुरूर न कर
इस दिल में उठने वाले बहुत से बेतुके सवालो का बस जवाब है तू
माना एक आदत सा बन गया है तू मेरी
पर आदत को छुड़ाना भी मुझे आता है
ये अदावत ये अकड़ ये घमंड न दे मुझे
बिना तेरे जीना भी मुझे आता है
अगर में तुझे अपनी सोच में बसा सकती हूँ
तुझे बैठा इन पलकों पर आम से खास बना सकती हूँ
तो यु मगरूर हो ज़लील न कर मेरी मोहबत को
अगर बनाया था तुझ जैसे पत्थर को इंसान कभी मैने
तो में खुद को भी इंसान से पत्थर बना सकती हूँ .....
ज़िन्दगी नहीं है तू मेरी बस मेरा एक ख्वाब है तू
बेपनाह कदर है तेरी मेरी दिल में पर गुरूर न कर
इस दिल में उठने वाले बहुत से बेतुके सवालो का बस जवाब है तू
माना एक आदत सा बन गया है तू मेरी
पर आदत को छुड़ाना भी मुझे आता है
ये अदावत ये अकड़ ये घमंड न दे मुझे
बिना तेरे जीना भी मुझे आता है
अगर में तुझे अपनी सोच में बसा सकती हूँ
तुझे बैठा इन पलकों पर आम से खास बना सकती हूँ
तो यु मगरूर हो ज़लील न कर मेरी मोहबत को
अगर बनाया था तुझ जैसे पत्थर को इंसान कभी मैने
तो में खुद को भी इंसान से पत्थर बना सकती हूँ .....
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