Monday, 27 January 2020

chhod diya

तेरे  रस्ते  पर  चलते  चलते  अब  खुद  को  एक  नया  मोड़  दिया   है
बहुत  चुबने  लगा  था  न  ये  रिश्ता  अब  इसे  भी  तोड़  दिया  है
बड़ी  तकलीफ  देती  थी  न  तुझे  ये  हिचकियाँ
जा  अब  तुझे  याद ही  करना   छोड़  दिया  है



चाहत  तो  आज  भी  बहुत  है  बस  जाताना  छोड़  दिया  है
है  तो  अब  भी  बहुत  कुछ  दिल  में  बस  बताना  छोड़  दिया  है
बड़ी  फिकर  होती  थी  तुझे  तेरे  नाम  की  न
जा  अब  दोस्तों  को  तेरा  किस्सा  सुनना   छोड़  दिया  है



झूठी  तसल्ली  देकर  खुद  को  बहलाना  छोड़  दिया
 बेफिजूल  की  बातो  के  लिए  खुद  को  रुलाना  छोड़  दिया  है
बहुत  शिकायत  रहती  थी  तुझे  तेरे  वक़्त  की 
जा  अब  तो  तुझे  बुलाना  ही  छोड़  दिया  है 



जिसको  जहाँ  जाना  है  जाओ  लोगो  को  अब  रोकना  छोड़  दिया  है
जो  होता  है  हो जय   शौक   से  अब  सोचना  छोड़  दिया  है
सिख  गए है  सफर -ए -ज़िन्दगी  तन्हा  करना 
आवाज़  न  दो  अब  कोई  हमने  पीछे  मूड  कर  देखना  छोड़  दिया  है 


Monday, 20 January 2020

zarurat

चल  मान  लिया  हम  एक  दूजे  से  जुदा है
अपनी  ही  राहे अपनी  ही  अदा है
लिखनी  है  दोनों  को  ही  अपनी  दास्ताँ  पर  उसके  लिए 
एक  उम्र  की  जरूरत   तुझे  भी  मुझे  भी

माना तू  वो  सूरज  है  जो   रोशन  जहाँ  को  करता  है
और  में  वो  चाँद  जो  ठंडक  रात  में  बरसाती  हूँ
पर  बात  तो  ये  है  न  की
आस्मां  की   जरुरत  तुझे भी  और  मुझे  भी


माना  की  तू  उस  पेड़  सा  है  जो  छाया  दे  लाखों  को
और  में  उस  तुलसी  सी जो  आंगन   महकाती  हूँ
पर  जुड़े  है  दोनों  ज़मीन  से
मिटटी  की  जरूरत  तुझे  भी  मुझे  भी


माना  की  तू  बारिश  की  पहली  राहत  है
और  में  बर्फ  की  सफ़ेद  चादर  सी
बरसते  तो  दोनों  ही  है  पर
मौसम की जरुरत तुझे भी मुझे भी


माना  तू  एक  आग  है  जलने  जलने  को
में  पानी   की  तेज़  धरा  सी
हम  जिंदगी  भी  मौत  भी
सम्भलने  की  जरूरत  तुझे  भी  मुझे  भी


माना  तू  वो  गीत  है  जो    गुनगुना  कर  मन  खुश  होता  है
और   में  उस  ग़ज़ल  सी   जो  दिल  के   जज़्बात  बयान  कर  जाती है 
पर  ये  न  भूलो   जनाब 
लब्ज़ो  की  जरुरत  तुझे  मुझे  भी


दिमाक   है  तू  तो  दिल  हु  में
साज़  है  तू  तो  आवाज़  हु  में
खिलना  बिखरना  दोनों  को  है
फूल  है  तू  तो  खुसबू  हु  में


एक   दूजे  से  अलग  है   पर  बिना  एक  दूजे  के  एक  आधुरात   तुझे  भी  मुझे  भी
मान  भी   ले  अब  तेरी  जरुरत  मुझे  भी   और मेरी  जरूरत   तुझे  भी   ........










Friday, 3 January 2020

CHAI

जिन्हे चाय से लगाव होता है
समझ लेना ,कोई तो घाव होता है
घूंट घूंट में लेते है ज़िन्दगी का मज़ा
दौड़ते वक़्त में यही  ठहराव होता है है
भाप बनकर पिघलती है जब यादें
ठन्डे हुए रिश्तो में अलाव होता है
जहा पूछ ले कोई चाय पिओगे ?
बस
अपना तो वही झुकाव  होता है
उम्र के साथ बदलती है यूँ तो कई बातें मगर
चाय से इश्क़ एक मुकमल पड़ाव होता है 

Wednesday, 1 January 2020

kyuuu

जब पता है जवाब तो  फिर  सवाल क्यों ,
जब आखिर में उसके लिए ही रोना है तो ये मलाल  क्यों
मेरा ही इश्क़ मेरी ही ज़िद मेरा जूनून, जब सब मेरा है तो ये हाल क्यों
जब मालूम था इश्क़ की गेहराईयूँ  का फिर भी किया तो फेर डूब जाने का बवाल क्यों,,,,

ये नहीं है की फ़क़त मैने  ही उसे चाहा है फिर ये फ़िज़ूल का शक क्यों
तू वो चाँद है जिसकी पनाहो में हज़ारो  तारे है फिर मेरे दिल पे  तेरा ही हक़ क्यों
जब कुछ है नहीं मुझसे तो कर लेता  है मुझे याद बेवक़्त  क्यों
और अगर दिल में है कुछ तो करदे बयां बनाया है खुद को इतना सक्त क्यों

जब रखना ही नहीं तुजसे कोई ताल्लुक़ तो रहती तेरी हर खबर क्यों
नज़र अंदाज़ करता है तू हर दफा मुझे फिर तुझ पर ही मेरी नज़र क्यों
नादान तो नहीं है समझता  सब है तू ,फिर रहता है मुझसे ही बेखबर क्यों
और जब  है ही नहीं अपने दरमियान कुछ भी फिर मुझ पर तेरा इतना असर क्यों

जुदा  है मंजिले अपनी और रहे भी फिर ये एतबार  क्यों
न ही तूने आना है और नहीं मैने बुलाना है फिर ये इंतज़ार क्यों
रुस्वाइयो को सिवा नहीं है कुछ फिर भी तुजसे ही प्यार क्यों
नहीं चाहेगा  तुजे भी इतना कोई और  जनता है फिर ये इंकार क्यों
लाखों है तुजे पर फ़िदा यहाँ फिर में ही तेरी नज़रों  में गुनहगार क्यों ........