एक उम्र इंतज़ार करके खुदको यूँ बेक़रार कर के
अब क्या हौसलों का दामन छोड़ दू
तुम तो तोड़ ही देते हो हर दफा मेरे ख्वाब , मेरा दिल
अब क्या में भी खुद अपनी सारी उमीदे तोड़ दू ....
तेरे पीछे पीछे चलती रही ,
अब खुदको क्या नया मोड़ दू
तेरे संग जीने की चाहा है मुझे पर
क्या तेरे संग जीने के लिए जीना ही छोड़ दू ....
तुजसे रिश्ता बनाने के लिए
क्या अब में अपने हर रिश्ते से मुँह मोड़ लू
जो प्यार तुझे है ही नहीं मुझसे
उस प्यार के लिए क्या अपनी दोस्तियां तोड़ दू ....
कदर नहीं तुझे मेरी पर जो थमा करते है मुझे गिरते हुए
क्या अब में वो हाथ छोड़ दू
फुर्सत नहीं तुझे करने को बात मुझसे पर जो गांठो सुना करते है मुझे
क्या उनसे करना बात छोड़ दू
सिवाए आंसू कुछ नहीं मिला तुझसे जो देते है हंसी मुझे
क्या संग उनके हसना छोड़ दू
तेरे एक रिप्लाई को ही करती हु हफ्तों इंतज़ार में पर
जो देखा करते है मेरी राह अक्सर क्या अब उनसे मिलना छोड़ दू
तुझे तो नहीं परवाह मेरी पर जो जीते है मेरे लिए
क्या उनके बारे में सोचना छोड़ दू
जिनके साये में मेहफ़ूज़ रही हु चाहते की तरह
क्या उनकी और पलट कर देखना छोड़ दू
तेरी इन बेमानी शर्तो के लिए अपने सारे उसूल तोड़ दू
साथ नहीं देगा तू मालूम है फिर कैसे दिल तुड़वाने को तुझसे दिल जोड़ लू
प्यार तो बेइंतहां है तुझसे मुझे
पर तुही बता अब तुझे पाने के लिए क्या मै खुद को ही छोड़ दूँ
अब क्या हौसलों का दामन छोड़ दू
तुम तो तोड़ ही देते हो हर दफा मेरे ख्वाब , मेरा दिल
अब क्या में भी खुद अपनी सारी उमीदे तोड़ दू ....
तेरे पीछे पीछे चलती रही ,
अब खुदको क्या नया मोड़ दू
तेरे संग जीने की चाहा है मुझे पर
क्या तेरे संग जीने के लिए जीना ही छोड़ दू ....
तुजसे रिश्ता बनाने के लिए
क्या अब में अपने हर रिश्ते से मुँह मोड़ लू
जो प्यार तुझे है ही नहीं मुझसे
उस प्यार के लिए क्या अपनी दोस्तियां तोड़ दू ....
कदर नहीं तुझे मेरी पर जो थमा करते है मुझे गिरते हुए
क्या अब में वो हाथ छोड़ दू
फुर्सत नहीं तुझे करने को बात मुझसे पर जो गांठो सुना करते है मुझे
क्या उनसे करना बात छोड़ दू
सिवाए आंसू कुछ नहीं मिला तुझसे जो देते है हंसी मुझे
क्या संग उनके हसना छोड़ दू
तेरे एक रिप्लाई को ही करती हु हफ्तों इंतज़ार में पर
जो देखा करते है मेरी राह अक्सर क्या अब उनसे मिलना छोड़ दू
तुझे तो नहीं परवाह मेरी पर जो जीते है मेरे लिए
क्या उनके बारे में सोचना छोड़ दू
जिनके साये में मेहफ़ूज़ रही हु चाहते की तरह
क्या उनकी और पलट कर देखना छोड़ दू
तेरी इन बेमानी शर्तो के लिए अपने सारे उसूल तोड़ दू
साथ नहीं देगा तू मालूम है फिर कैसे दिल तुड़वाने को तुझसे दिल जोड़ लू
प्यार तो बेइंतहां है तुझसे मुझे
पर तुही बता अब तुझे पाने के लिए क्या मै खुद को ही छोड़ दूँ
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